" हम याद याद की तरह रखें हैं , दिल अब भी चाहते जज़्बात की तरह रखें हैं , हसरतें काविज हैं तेरी अब भी मुझ पे इसतरह , तेरे सुरुर को कभी भी कोई कम नहीं कर सकते ." --- रबिन्द्र राम " हम याद याद की तरह रखें हैं , दिल अब भी चाहते जज़्बात की तरह रखें हैं , हसरतें काविज हैं तेरी अब भी मुझ पे इसतरह , तेरे सुरुर को कभी भी कोई कम नहीं कर सकते ." --- रबिन्द्र राम #याद