#रत्नाकर कालोनी
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कथाकार एक बार फिर रत्नाकर कालोनी के प्रेम स्नेह के समक्ष नतमस्तक हुआ-यही घटना यथार्थ मे कुछ और हो सकती थी...लेकिन अपने भाई अपने बेटे के लिये पुष्पा जी का आत्मीय प्रेम देखिये... उनकी नजरों मे ज्यों ही एक सुकन्या दिखी वो अब कुछ भूलकर कैसे भी उस तक पहुंचने को आतुर हो गये.. यद्द्पि यथार्थ में पुष्पा जी अपना प्रत्येक निर्णय अपने बौद्धिक स्तर एवं अनुभवों के आधार पर लेते होंगे.. खैर यहाँ तो भ्रातत्व प्रेम की बात होगी... पुष्पा जी ने ज्यों ही देखा अपनी सखियों को आवाज लगाई.. सखिय #प्रेरक