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ना मोहब्बत का दर्द रहा ,ना शेर का लफ़्ज रहा! मंसूर

ना मोहब्बत का दर्द रहा ,ना शेर का लफ़्ज रहा!
मंसूर इस दुनियाँ का,ना कल रहा ना आज रहा!
(rose) #चले आओ
ना मोहब्बत का दर्द रहा ,ना शेर का लफ़्ज रहा!
मंसूर इस दुनियाँ का,ना कल रहा ना आज रहा!
(rose) #चले आओ