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आसमान में उड़ता परिंदा हर रोज अपनी मंजिल ढूंढता है

आसमान में उड़ता परिंदा हर
 रोज अपनी मंजिल ढूंढता है, 
गाँव के व्यक्ति शहर की भीड़ में 
अपने लिए रोजगार ढूंढता है, 

परिंदा अपनी मंजिल के लिए
 रहने के लिए कच्चा मकान ढूंढता है,, 
गाँव का व्यक्ति शहर की भीड़ में जीवित रहने के लिए
 दो वक़्त की रोटी ढूंढता है, 

परिंदा अपने हौसलों से 
हर पल उच्च गगन में उड़ता है, 
गाँव का व्यक्ति अपनी मेहनत से
 अपनी मंजिल ढूंढता है 

परिंदा अपनी उड़ान से
 एक नए पहचान बनाता है 
गाँव का व्यक्ति सफलता से
 अपना नाम बनाता है

©Sandeep Rawat #poem 

#lotus
आसमान में उड़ता परिंदा हर
 रोज अपनी मंजिल ढूंढता है, 
गाँव के व्यक्ति शहर की भीड़ में 
अपने लिए रोजगार ढूंढता है, 

परिंदा अपनी मंजिल के लिए
 रहने के लिए कच्चा मकान ढूंढता है,, 
गाँव का व्यक्ति शहर की भीड़ में जीवित रहने के लिए
 दो वक़्त की रोटी ढूंढता है, 

परिंदा अपने हौसलों से 
हर पल उच्च गगन में उड़ता है, 
गाँव का व्यक्ति अपनी मेहनत से
 अपनी मंजिल ढूंढता है 

परिंदा अपनी उड़ान से
 एक नए पहचान बनाता है 
गाँव का व्यक्ति सफलता से
 अपना नाम बनाता है

©Sandeep Rawat #poem 

#lotus