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sandeeprawat7789
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Sandeep Rawat

कुछ न कहना ही बेहतर रहेगा, ग़र कह दूँ तो इल्जाम मुझपर बेवजह ही लगता रहेगा... !

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Sandeep Rawat

Army day Sena Divas quotes in hindi   बिस्तर पर हम अपने अभी भी पैर जमाए हैँ, 
हमारे जवान सुरक्षित किए हमें 
अपने पैर डटकर सीमाओं पर जमाए हैँ 
मौसम सरद हो, गरम् हो या फिर हो चाहे कुछ भी 
हिम्मत ताने सीमाओं पर नजाने ऐसा भी वो क्या खाकर आए हैँ 
यहाँ हम मौसम के मिज़ाज से परेशान हैँ 
वहाँ ये बर्फ़ीली हवाओं से लड़कर न जाने कितनों की जान बचाए हैँ 
न धर्म न जात का सवाल किए 
समान भाव से सीमाओं पर अपनी नजरें जमाए हैँ 
सोचो जरा हमारे जवान हमारे लिए कितना बलिदान दिए जा रहे हैँ

©Sandeep Rawat
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Sandeep Rawat

एक प्याला समुन्दर 
इन चक्षु में समर्पित कर बैठा हूँ, 
भार अति, फिर भी सब के प्रति 
एकसमान प्यार कर बैठा हूँ 

समस्त नदों की भांति मैं 
सभी को कुछ इस तरह
 अपने हृदय में समा रहा हूँ, 

दुःख पीड़ा होकर भी 
समस्त लोगों के प्रति
 उनके सम्मुख मुस्कुरा रहा हूँ 

चेतना होकर भी मैं विनम्रता के भाव से 
शांति का रूप इस जग को अपना दिखा रहा हूँ 

टकराव होता है हर किसी का मुझसे
 उसको भी मैं ख़ुशी से गले लगा रहा हूँ 
एक प्याला समुन्दर की भांति मैं अपना प्रेम 
इस संसार को दिखा रहा हूं !!

©Sandeep Rawat #ekpyalasamundar
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Sandeep Rawat

पहले प्रेम में आँखें पढ़ी 
और समझी जाती थी, 
किन्तु अब नहीं
दौर परिवर्तित हुआ,
आधुनिक युग में प्रेम को समझने के लिए 
पुस्तक पढ़ी जाती है 
जिसने हमारी देह को
 इन पृष्ठों में ही कैद कर लिया 

पहले प्रेम और 
मंगल-कुशल के लिए 
खत लिखकर कबूतरों की
 सहायता से संदेश भेजे जाते थे, 
किन्तु अब नहीं 
दौर परिवर्तित हुआ, 
आधुनिक युग में संदेश भेजनें के लिए 
मोबाइल फ़ोन की सहायता ली जाती है 
जिसने हमारे तनु एवं इंद्रियों को
 इस मोबाइल फ़ोन के ज्वलित प्रकाश में कैद कर लिया !

©Sandeep Rawat #Loneliness
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Sandeep Rawat

मुझे इस अँधेरे को अपना मान ही लेना चाहिए
 क्योंकि ये वह अंधेरा है जिसने अभी तक 
मेरे विरुद्ध दुश्मन को एक गहरी नींद में 
सुलाया हुआ है !

©Sandeep Rawat #Cityscape
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Sandeep Rawat

मेरे पास भी 
एक ऐसा 
तालाब है
जो सदैव 
जल से भरा रहता है

तालाब की भांति 
इसमें भी जल तब ही 
छलकता है, 

ज़ब कोई इसके हृदय में 
पत्थर प्रवाहित कर 
तालाब का भार 
एवं इसकी पीड़ा को
 बढ़ा देता है !

©Sandeep Rawat
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Sandeep Rawat

श्रोता का कार्य 
केवल सुनने का नहीं अपितु
 स्मरण कर उस ज्ञान को वक्ता बनकर 
अन्य श्रोताओं तक पहुंचाना भी होता है 
   वही एक उत्तम श्रोता होता है !

©Sandeep Rawat #writer
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Sandeep Rawat

ना ये वक्त रुकता है
 ना ये दिन गुजरता है, 
बरसो-बरस हुए उनसे बिछडे 
अब ये मन उनसे मिलने को करता है !

©Sandeep Rawat #vacation
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Sandeep Rawat

कचरे की तरह दूर-दूर तक बिखरता जा रहा था उसका सपना, 
फिर भी उस कचरे को समेटकर मान लेता था वह उसे अपना 

कचरे की बोरी पीठ में लिए चल पड़ा था जिंदगी जीने की इस लड़ाई में, 
सपने उसके भी थे चाँद, तारे छूने को पर मजबूर था वह जिंदगी के हालातों से 

भविष्य उसका पूर्ण रूप से अंधकार की तरह उससे दूर होता चला गया, 
जिंदगी की इस लड़ाई की दौड़ में वह उतना ही अकेला होता गया 

कभी-कभी उदासी तो कभी एक प्यारी सी दंतुरित मुस्कान झलक जाती थी उसके चेहरे पर, 
अनजान मुसाफिर की तरह था वह इस शहर की भीड़ में जो जा रहा था वो उस कांटे भरी जिंदगी की राह पर 

अर्धरात्रि के अंधेरे में सोच रहा था वो कल के भविष्य के बारे में, 
निंद्रा उसकी नयन में झूम रही थी फिर भी सो नहीं पाया उस अर्द्धरात्रि में 

एकाटकी लगाए देख रहा था वह उस चाँद को जो संसार को सुकून देने आती है यह हर रात को 
खुद से वह वाद-विवाद जैसे सवाल कर बैठा था वह जिंदगी के बारे में, 

सोचता रहा कि आने वाली कल की सुबह उसके लिए खुशियों का उजाला लेकर आए 
ऐसी बात को जहन में लिए सोच रहा था वह इस अर्द्धरात्रि में !!

©Sandeep Rawat #Hope
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Sandeep Rawat

सुबह सिखाती है, 

फूलों की तरह मुस्कुराना, सूर्य की तरह अपनी रौशनी को बाँटना..,, 
 सुबह सिखाती है.., 
जीवन में कल के अनुभव से आज की जीत को पाना.., 
और अपने जीवन में सफलता के उजाले को चारों दिशाओं में फैलाना... !

©Sandeep Rawat #Morning
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Sandeep Rawat

वो कच्चे धागे ही हैँ 
जिन्हें अक्सर हम मजबूत 
 धागे कहा करते हैँ 
यदि इन धागों की डोर को
 आपस में मिलाकर समेटा जाए तो, 
ये मजबूत बंधन में मिल जाते है 
ठीक उसी प्रकार हमारे ये 
रिश्ते भी इन कच्चे धागों की तरह होते हैं
 ज़ब तक हम रिश्तों के धागे को 
 विश्वास भरी डोर से न मिलाकर बाँधे तो, 
ये रिश्ते भी कच्चे धागे की 
तरह कमजोर हो जाते हैं!

©Sandeep Rawat #quotation
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