मज़दूर दिवस हम मनाते हैं पर इनको क्यों भूल जाते हैं जो 1 जून की रोटी खातिर सपनों को अपने जलाते हैं कड़ी धूप में परिश्रम करते हम सब की परेसानी हरते हमारे घर की ईंट जोड़कर खुद ही वो झोपड़ी में रहते गरीबी का ही अभिशाप मिला तब भी न कोई चिंता न गिला अपने काम में व्यस्त ये रहते परिश्रम का जो वरदान मिला इनका भी खुद का सम्मान है इनके भी कुछ तो अरमान है मत तोड़ना इनके सपनों को इन्होंने बनाया हमारा जहां है मज़दूर दिवस हम मनाते हैं पर इनको क्यों भूल जाते हैं जो 1 जून की रोटी खातिर सपनों को अपने जलाते हैं .......................................... देवेश दीक्षित 7982437710 ©Devesh Dixit #मज़दूर_दिवस #nojotohindi # Adv. R. Kumar Sudha Tripathi