कुछ दिनों पहले सारा देश चौकीदार बना फिर रहा था ,कहाँ गए वो सारे चौकीदार, अब जब हर दिन बलात्कार पर बलात्कार हो रहे है, कहाँ है वो चौकीदार, सड़को पर इज्ज़त तार तार हो रही है , मासूम कलियाँ सहम गयी है , खौफ सा लगता है गलियों से गुजरने में , रातों का सन्नाटा कानो में चीख चीख कर किसी अनहोनी की आशंका जताता है, अब जब जरूरत है चौकीदारों की सब विलुप्त से नजर आते है , क्या ये चौकीदार चुनावी दंगल तक ही जीवित थे या अब भी है , हर दूसरे मोड़ पर मैं भी चौकीदार के नारे लगाने वालों , अब क्या आत्मा मर गयी है तुम्हारी , कदम कदम पर चौकीदार थे जब तो ये बलात्कारी कहा से आते है , जितनी बड़ी बातें करते है अगर वो कर पाते तो देश की बेटियों का ये हाल न होता| कहाँ गए चौकीदार