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हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, हश्र मेरी शायरी का मे

हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, हश्र मेरी शायरी का मेरे यार यूँ न कर
मेरे अल्फाजों सें मुझे बदनाम यूँ न कर
तूझसे मुहब्बत की थी यार मैंने शिद्दत से
चाहत मेरी तू अब बदनाम यूँ न कर
कोशीश है तूझे जहन भी अपने मिटा दूँ
कोशीश मेरी हर बार नाकाम यूँ न कर
सीने से लगा लूँ तो धूल जाये सारे गम
ख्वाब ही सही मगर मुझे नाकाम यूँ न कर
#Shilpa #Hashra #TpWritting #ShilpaSalve358
हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, हश्र मेरी शायरी का मेरे यार यूँ न कर
मेरे अल्फाजों सें मुझे बदनाम यूँ न कर
तूझसे मुहब्बत की थी यार मैंने शिद्दत से
चाहत मेरी तू अब बदनाम यूँ न कर
कोशीश है तूझे जहन भी अपने मिटा दूँ
कोशीश मेरी हर बार नाकाम यूँ न कर
सीने से लगा लूँ तो धूल जाये सारे गम
ख्वाब ही सही मगर मुझे नाकाम यूँ न कर
#Shilpa #Hashra #TpWritting #ShilpaSalve358