White बड़े मायूस हो हमदर्द का दर देख आये क्या किसी की आसतीं में तुम भी खंजर देख आये क्या बड़े खामोश बैठे हो बड़े गमगीन से हो तुम किसी की आँख में डूबा समन्दर देख आये क्या बड़े मगरूर थे कल तक कि अब मजबूरियाँ कैसी कहीं हारा हुआ तुम भी सिकन्दर देख आये क्या लुटाने पर तुले हो क्यों कमाई है जो’ बरसों में फकीरों की अमीरी में कलन्दर देख आये क्या __________ ©dilkibaatwithamit बड़े मायूस हो हमदर्द का दर देख आये क्या किसी की आसतीं में तुम भी खंजर देख आये क्या बड़े खामोश बैठे हो बड़े गमगीन से हो तुम किसी की आँख में डूबा समन्दर देख आये क्या बड़े मगरूर थे कल तक कि अब मजबूरियाँ कैसी कहीं हारा हुआ तुम भी सिकन्दर देख आये क्या