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मैं पहला नहीं दूसरा प्यार था। तुम टूटी थी मैंने आं

मैं पहला नहीं दूसरा प्यार था। तुम टूटी थी मैंने आंसू पोछा था।  सच को झूठ मान तुझे गले लगाया था। मुझे मालूम है मैंने तुम्हे कैसे समेटा था। आज तुम आजाद होती तो खुश होता। लेकिन, तुम्हे वही पुराना पिजरा पसंद था।  तुमको लग रहा होगा तुम जीत गई, पर 
यही भ्रम तुमको बाद में तोड़ेगा।

©Parambir Singh
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