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यहीं से जान गया मैं कि वक़्त ढलने लगे, मैं थक हार क

यहीं से जान गया मैं कि वक़्त ढलने लगे,
मैं थक हार के बैठा तो पैर जलने लगे,
जो दे रहा था सहारे तो इक हजूम में था,
जो गिर पड़ा तो सभी रास्ता बदलने लगे।

©Aniket 
  #Kangana