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#OpenPoetry एक शख्स पहली मुलाक़ात में मुतासिब सा कर

#OpenPoetry एक शख्स
पहली मुलाक़ात में
मुतासिब सा कर गया
कभी बात नही हुई उससे
पर बिन बात के भी वो अजनबी
कुछ कशिश दिल में भर गया
उसकी आँखें हैं आफ़ताब सी
फ़क़त नूर से भरी
हँसी उसकी हो जैसे
इज़्तिरार में सुकून सी
उसकी ज़ुल्फ हैं काली घटा
वो लहजे से है शोखियाँ
वो बेबाक सा हर दिल अज़ीज़
उससे उल्फ़त है लाज़मी
वो मसरूफ है अपनी निस्बत में
ये दिल मुंतज़िर हो रहा
वो तो ख़ुश है खुद ही खुद में
यहाँ मगज़ तसव्वुर खो रहा
उसके हुनर ना मालुम हमें
ना हसरतें हैं उसकी पता
वो पाकीज़ा सी इनायत है मगर
मूसलसल है ना वो राब्ता
गर्दिश में हैं सितारे अभी
ये दिल तो सिफर को है चला! #OpenPoetry #crush #love_at_first_sight
हम अपनी इस ज़िन्दगी में कभी न कभी किसी एक ऐसे शख़्स से कहीं न कहीं टकरा जाते हैं। जिसके बारे में बिना कुछ जाने बग़ैर हम उसे चाहने सा लगते हैं। उसे उस पहली मुलाक़ात में नाम देना ग़लत होगा। तो ये कुछ पंक्तियाँ उसी एक शख़्स के नाम जो कहीं किसी एक मोड़ पर मुझसे टकरा गया था। और उस किसी ख़ास शख़्स के नाम जो आप लोगों की ज़िन्दगी में किसी न किसी मोड़ पर कभी आपसे मिले होंगे।।
#OpenPoetry एक शख्स
पहली मुलाक़ात में
मुतासिब सा कर गया
कभी बात नही हुई उससे
पर बिन बात के भी वो अजनबी
कुछ कशिश दिल में भर गया
उसकी आँखें हैं आफ़ताब सी
फ़क़त नूर से भरी
हँसी उसकी हो जैसे
इज़्तिरार में सुकून सी
उसकी ज़ुल्फ हैं काली घटा
वो लहजे से है शोखियाँ
वो बेबाक सा हर दिल अज़ीज़
उससे उल्फ़त है लाज़मी
वो मसरूफ है अपनी निस्बत में
ये दिल मुंतज़िर हो रहा
वो तो ख़ुश है खुद ही खुद में
यहाँ मगज़ तसव्वुर खो रहा
उसके हुनर ना मालुम हमें
ना हसरतें हैं उसकी पता
वो पाकीज़ा सी इनायत है मगर
मूसलसल है ना वो राब्ता
गर्दिश में हैं सितारे अभी
ये दिल तो सिफर को है चला! #OpenPoetry #crush #love_at_first_sight
हम अपनी इस ज़िन्दगी में कभी न कभी किसी एक ऐसे शख़्स से कहीं न कहीं टकरा जाते हैं। जिसके बारे में बिना कुछ जाने बग़ैर हम उसे चाहने सा लगते हैं। उसे उस पहली मुलाक़ात में नाम देना ग़लत होगा। तो ये कुछ पंक्तियाँ उसी एक शख़्स के नाम जो कहीं किसी एक मोड़ पर मुझसे टकरा गया था। और उस किसी ख़ास शख़्स के नाम जो आप लोगों की ज़िन्दगी में किसी न किसी मोड़ पर कभी आपसे मिले होंगे।।

#OpenPoetry #crush #love_at_first_sight हम अपनी इस ज़िन्दगी में कभी न कभी किसी एक ऐसे शख़्स से कहीं न कहीं टकरा जाते हैं। जिसके बारे में बिना कुछ जाने बग़ैर हम उसे चाहने सा लगते हैं। उसे उस पहली मुलाक़ात में नाम देना ग़लत होगा। तो ये कुछ पंक्तियाँ उसी एक शख़्स के नाम जो कहीं किसी एक मोड़ पर मुझसे टकरा गया था। और उस किसी ख़ास शख़्स के नाम जो आप लोगों की ज़िन्दगी में किसी न किसी मोड़ पर कभी आपसे मिले होंगे।।