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“पेड़ का हृदय” अनुशीर्षक में

       “पेड़ का हृदय”
        अनुशीर्षक में    

 हे मानव! कभी तुम्हारे ही पूर्वज ने बरसों पहले बोया था
हवा के मंद झोकों और और नित्य देते पानी मुझे तेरे बचपन संग
तेरे जैसा ही मैं भी आज बड़ा हो गया हूंँ
तुम जवान पुरुष तो मैं भी जवान वृक्ष बन गया हूंँ
कभी कभी मेरे मन में एक विचार आता है
आज मैं आप लोगों से एक सवाल करता हूंँ
क्या दूसरे पेड़ों की तरह मैं भी कट जाऊंगा
क्या मैं भी आज वीरगति को प्राप्त हो जाऊंगा
       “पेड़ का हृदय”
        अनुशीर्षक में    

 हे मानव! कभी तुम्हारे ही पूर्वज ने बरसों पहले बोया था
हवा के मंद झोकों और और नित्य देते पानी मुझे तेरे बचपन संग
तेरे जैसा ही मैं भी आज बड़ा हो गया हूंँ
तुम जवान पुरुष तो मैं भी जवान वृक्ष बन गया हूंँ
कभी कभी मेरे मन में एक विचार आता है
आज मैं आप लोगों से एक सवाल करता हूंँ
क्या दूसरे पेड़ों की तरह मैं भी कट जाऊंगा
क्या मैं भी आज वीरगति को प्राप्त हो जाऊंगा

हे मानव! कभी तुम्हारे ही पूर्वज ने बरसों पहले बोया था हवा के मंद झोकों और और नित्य देते पानी मुझे तेरे बचपन संग तेरे जैसा ही मैं भी आज बड़ा हो गया हूंँ तुम जवान पुरुष तो मैं भी जवान वृक्ष बन गया हूंँ कभी कभी मेरे मन में एक विचार आता है आज मैं आप लोगों से एक सवाल करता हूंँ क्या दूसरे पेड़ों की तरह मैं भी कट जाऊंगा क्या मैं भी आज वीरगति को प्राप्त हो जाऊंगा #restzone #collabwithrestzone #yqrz #similethougths #rzलेखकसमूह #rztask86