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दिन है लेकिन उजाला गायब है और सियाही के आगोश मे र

दिन है लेकिन उजाला गायब है
और  सियाही के आगोश मे रात है
तमन्ना करते है फिर भी 
कदम हमारे कभी न लड़खडाए

©Parasram Arora
  दिन है   उजाला गायब है

दिन है उजाला गायब है #कविता

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