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मैं अगर थक गया काफिला तो चले। इस सफर का यूँ ही सिल

मैं अगर थक गया काफिला तो चले।
इस सफर का यूँ ही सिलसिला तो चले।।

नाप लेंगे उड़ानों से सारा गगन,
पँख हो ना सही हौसला तो चले।

मंज़िलें बढ़ के चूमेंगी ख़ुद ही क़दम,
शर्त ये है कि एक रास्ता तो चले।

हार और जीत तो बाद की बात है,
एक उम्दा अजी मुकाबिला तो चले।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki #काफ़िला
मैं अगर थक गया काफिला तो चले।
इस सफर का यूँ ही सिलसिला तो चले।।

नाप लेंगे उड़ानों से सारा गगन,
पँख हो ना सही हौसला तो चले।

मंज़िलें बढ़ के चूमेंगी ख़ुद ही क़दम,
शर्त ये है कि एक रास्ता तो चले।

हार और जीत तो बाद की बात है,
एक उम्दा अजी मुकाबिला तो चले।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki #काफ़िला