सुनो बेशक तुम पुरूष हो ...पर ... जब घी सीधी ऊंगली से न निकले, तो ऊंगली को टेढ़ी करना पड़ता है प्यार से पल्ले न पड़े तो फिर, गुस्से को आग याद दिलाना पड़ता है गोल मोल बातों का रवैया पंसद न मुझको आंखों से पर्दा ,हटाना पड़ता है.. बहुत सीधी,सभ्य ठहरी वैसे तो मैं पर बात मिथ्या की आये तो तो गौरी से काली बन जाना पड़ता है.. #मिथ्या #रवैया #ऊगंलिया #औरत होती है सहनशीलता की मूरत गल्त बातों पर धर लेती काली की सूरत #yqaurat #yqlifequotes #yqdiary_yqfeelings #tulikagarg