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सुर में उसके आज कुछ मिठास है, प्रतीत हो रहा कुछ ह

सुर में उसके आज कुछ मिठास है, 
प्रतीत हो रहा कुछ होने वाला खास है। ।
खतरों का संकेत आ रहा मेरे पास है, 
मन में ऐसा हो रहा आभास है। ।
व्याकुलता में अब आ नहीं रहा कुछ रास है, 
क्योंकि, हर हथकंडा उसका दास है। 
लंबा चौड़ा उसका इतिहास है, 
हर नुक्कड़ पर होता मेरा परिहास है। 
नजर में उसके कीर्ति मेरी बकवास है, 
चक्कर में उसके हर दिन होता मेरा उपवास है। 
सबकी बातों का अब मुझे होता एहसास है, 
बिन बेगम जिंदगी झक्कास है ।।।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले 
खुद की जुबानी। ।

©Santosh Verma
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