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यादें,,,,, Read in caption 🤗 बहुत हिम्मत कर के म

यादें,,,,,

Read in caption 🤗 बहुत हिम्मत कर के मालती ने जब पीछे गर्दन घुमा के देखा तो मां अब भी गेट पर खड़ी थी।
उनकी और पापा की आंखों की उदासी साथ लिए जा रही हूं ।इस उम्मीद के साथ की जल्द वापिस आऊंगी। ये एक महीना कैसे बीत गया कुछ पता ही नहीं चला,,,,,,मालती आंखें बंद करके उन पलों की यादों को संजो रही थी।
रवि अपने काम में व्यस्त रहते थे और बच्चों की अपनी ही दुनिया थी।इस बार मालती ने अकेले ही इंडिया आने का प्रोग्राम बना लिया। 
-मम्मी पापा से मिले हुए दो साल हो गए हैं।इस बार सारा समय मम्मी पापा के साथ ही बिताऊंगी।कहीं किसी के पास नहीं जाऊंगी,,,,,,,मालती पैकिंग करते हुए सोच रही थी।
घर पहुंचते ही उनकी आंखों में जो चमक देखी ,मालती के सफर की सब थकान दूर हो गई थी।खाने में मम्मी ने उसकी पसंद की कितनी ही चीजें बना दी थीं।
-इतना सब आज ही क्यों बनाया आपने।अभी तो पूरा एक महीना रहूंगी। ,,,,मालती ने मां की बूढ़ी आंखों में झांकते हुए कहा था।
-कितने समय बाद तो ये सब बनाया है।वैसे तो हम दोनों सादा ही खाते हैं।तुम खाओ ना,,,,,,मां ने उसकी प्लेट में पनीर डालते हुए कहा।
जितने दिन वो रही, पापा की रोज यही बात होती थी ।आज मालती की पसंद का ये बना दो ,वो बना दो।एक महीना कैसे बीत गया पता ही नहीं चला और आज जाने का दिन आ गया। सुबह से अजीब सी बेचैनी थी।पापा मम्मी ने पता नहीं क्या क्या बांध दिया था।
यादें,,,,,

Read in caption 🤗 बहुत हिम्मत कर के मालती ने जब पीछे गर्दन घुमा के देखा तो मां अब भी गेट पर खड़ी थी।
उनकी और पापा की आंखों की उदासी साथ लिए जा रही हूं ।इस उम्मीद के साथ की जल्द वापिस आऊंगी। ये एक महीना कैसे बीत गया कुछ पता ही नहीं चला,,,,,,मालती आंखें बंद करके उन पलों की यादों को संजो रही थी।
रवि अपने काम में व्यस्त रहते थे और बच्चों की अपनी ही दुनिया थी।इस बार मालती ने अकेले ही इंडिया आने का प्रोग्राम बना लिया। 
-मम्मी पापा से मिले हुए दो साल हो गए हैं।इस बार सारा समय मम्मी पापा के साथ ही बिताऊंगी।कहीं किसी के पास नहीं जाऊंगी,,,,,,,मालती पैकिंग करते हुए सोच रही थी।
घर पहुंचते ही उनकी आंखों में जो चमक देखी ,मालती के सफर की सब थकान दूर हो गई थी।खाने में मम्मी ने उसकी पसंद की कितनी ही चीजें बना दी थीं।
-इतना सब आज ही क्यों बनाया आपने।अभी तो पूरा एक महीना रहूंगी। ,,,,मालती ने मां की बूढ़ी आंखों में झांकते हुए कहा था।
-कितने समय बाद तो ये सब बनाया है।वैसे तो हम दोनों सादा ही खाते हैं।तुम खाओ ना,,,,,,मां ने उसकी प्लेट में पनीर डालते हुए कहा।
जितने दिन वो रही, पापा की रोज यही बात होती थी ।आज मालती की पसंद का ये बना दो ,वो बना दो।एक महीना कैसे बीत गया पता ही नहीं चला और आज जाने का दिन आ गया। सुबह से अजीब सी बेचैनी थी।पापा मम्मी ने पता नहीं क्या क्या बांध दिया था।
seemakatoch7627

Seema Katoch

New Creator

बहुत हिम्मत कर के मालती ने जब पीछे गर्दन घुमा के देखा तो मां अब भी गेट पर खड़ी थी। उनकी और पापा की आंखों की उदासी साथ लिए जा रही हूं ।इस उम्मीद के साथ की जल्द वापिस आऊंगी। ये एक महीना कैसे बीत गया कुछ पता ही नहीं चला,,,,,,मालती आंखें बंद करके उन पलों की यादों को संजो रही थी। रवि अपने काम में व्यस्त रहते थे और बच्चों की अपनी ही दुनिया थी।इस बार मालती ने अकेले ही इंडिया आने का प्रोग्राम बना लिया। -मम्मी पापा से मिले हुए दो साल हो गए हैं।इस बार सारा समय मम्मी पापा के साथ ही बिताऊंगी।कहीं किसी के पास नहीं जाऊंगी,,,,,,,मालती पैकिंग करते हुए सोच रही थी। घर पहुंचते ही उनकी आंखों में जो चमक देखी ,मालती के सफर की सब थकान दूर हो गई थी।खाने में मम्मी ने उसकी पसंद की कितनी ही चीजें बना दी थीं। -इतना सब आज ही क्यों बनाया आपने।अभी तो पूरा एक महीना रहूंगी। ,,,,मालती ने मां की बूढ़ी आंखों में झांकते हुए कहा था। -कितने समय बाद तो ये सब बनाया है।वैसे तो हम दोनों सादा ही खाते हैं।तुम खाओ ना,,,,,,मां ने उसकी प्लेट में पनीर डालते हुए कहा। जितने दिन वो रही, पापा की रोज यही बात होती थी ।आज मालती की पसंद का ये बना दो ,वो बना दो।एक महीना कैसे बीत गया पता ही नहीं चला और आज जाने का दिन आ गया। सुबह से अजीब सी बेचैनी थी।पापा मम्मी ने पता नहीं क्या क्या बांध दिया था। #yqdidi #restzone #rzलेखकसमूह #rztask128