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# "एहसासों की सीढियाँ चढ़कर, तेरे | English Poetry

"एहसासों की सीढियाँ चढ़कर,
तेरे मन-मंदिर में जाना छोड़ दिया है;
दिल के दरख़्त पर बंधा,
प्यार का धागा मैंने खोल दिया है।

असर सब बेअसर हो रहे थे,
रूह को साँस आने में;
घुट रही थी रूह मेरी,
anjalisinghal5635

Anjali Singhal

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New Creator
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"एहसासों की सीढियाँ चढ़कर, तेरे मन-मंदिर में जाना छोड़ दिया है; दिल के दरख़्त पर बंधा, प्यार का धागा मैंने खोल दिया है। असर सब बेअसर हो रहे थे, रूह को साँस आने में; घुट रही थी रूह मेरी, #Poetry #स्वरचितरचना #AnjaliSinghal

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