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शब्दों से कहां कुछ बया करते हैं दिल की बेबसी को स

शब्दों से कहां कुछ  बया करते हैं
दिल की बेबसी को साहब
अब देखो न
सुलझते सुलझते कितना
संभल गए हैं हम
जहां सब का ख्याल और इंतजार किया करते थे
आज वही देखो अकेले खड़े हैं हम
मुरझाए हुए चेहरे पर मुस्कान ढूंढ रहे हैं
चेहरे पर खिलखिलाती रोशनी
पर सच कहूं तो मन उदास रहता है
आंखों में  लालिमा सर पर भार रहता है
कभी कोई पूछता नहीं हालत
सब हाल पर छोड़ देते हैं
कभी बैठो पास
आंखें हालत बयां करेंगी
और अधरों पर मुस्कान होगी

©Ankita Shukla
  शब्दों से कहां कुछ  बया करते हैं
दिल की बेबसी को साहब
अब देखो न
सुलझते सुलझते कितना
संभल गए हैं हम
जहां सब का ख्याल और इंतजार किया करते थे
आज वही देखो अकेले खड़े हैं हम
मुरझाए हुए चेहरे पर मुस्कान ढूंढ रहे हैं

शब्दों से कहां कुछ बया करते हैं दिल की बेबसी को साहब अब देखो न सुलझते सुलझते कितना संभल गए हैं हम जहां सब का ख्याल और इंतजार किया करते थे आज वही देखो अकेले खड़े हैं हम मुरझाए हुए चेहरे पर मुस्कान ढूंढ रहे हैं #शायरी

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