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White पल्लव की डायरी दौड़ जिंदगी की,गाड़ी घोड़ो तक वि

White पल्लव की डायरी
दौड़ जिंदगी की,गाड़ी घोड़ो तक
विचलित मन हो रहे है
आनन्द परमानन्द सब गायब है
हैसियत के फूल खिल रहे है
दिखावा ही चलन बना है जिंदगी का
दिल  कितनो के तोड़े है
कीमत बस्तुओं की बची है यहाँ पर बस
पुतलो की तरह रुख हमारे हो गये
संघर्षो में संवेदना मर गयी
धन दौलत चपेट बैठे है
परस्पर जीने की कला हम सब भूल बैठे है
                                             प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
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