Nojoto: Largest Storytelling Platform

अपनी सीधी बाज़ी का हर दावं ही उल्टा लगता है। पैरों

अपनी सीधी बाज़ी का हर दावं ही उल्टा लगता है।
पैरों के नीचे नीला गगन,
सर धरा उठाये फिरता है।
अपनी उलझन कुछ हो तो कहूँ।
अपनी पीड़ा हो तो न गहुँ।
मन मकड़जाल में झूले है।
शंका ही बस अब फुले है।
अब संबंधों के पुल पर बस।
स्वार्थ की आवाजाही है।
ये दोष भला किसके सर दूँ।
अब किसकी होनी गवाही है।
ये वक़्त कहाँ ले आया है।
क्या चाहा था क्या पाया है।
अब डूब मरूँ या उतरु पार
या सीखूँ दुनिया का व्यापार।
अब सोंच रहा हूँ।
तब भी सोंच रहा था।

निर्भय कुमार सिंह #नोजोतो #नोजोतोहिंदी। #दुनियादारी #कविता #विचार
अपनी सीधी बाज़ी का हर दावं ही उल्टा लगता है।
पैरों के नीचे नीला गगन,
सर धरा उठाये फिरता है।
अपनी उलझन कुछ हो तो कहूँ।
अपनी पीड़ा हो तो न गहुँ।
मन मकड़जाल में झूले है।
शंका ही बस अब फुले है।
अब संबंधों के पुल पर बस।
स्वार्थ की आवाजाही है।
ये दोष भला किसके सर दूँ।
अब किसकी होनी गवाही है।
ये वक़्त कहाँ ले आया है।
क्या चाहा था क्या पाया है।
अब डूब मरूँ या उतरु पार
या सीखूँ दुनिया का व्यापार।
अब सोंच रहा हूँ।
तब भी सोंच रहा था।

निर्भय कुमार सिंह #नोजोतो #नोजोतोहिंदी। #दुनियादारी #कविता #विचार