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..... इक रोज़ मै यूं ही खुद की तलाश में चल निकला औ

..... इक रोज़ मै यूं ही खुद की तलाश में चल निकला
और पहुंचा महादेव की नगरी में,
कहा खबर थी मुझे
इंतजार कर रही है किस्मत मेरी बेसब्री में।

रात के क़रीब 7 बज रहे होंगे BHU का campus कितना सुहावन लग रहा था, हल्की हल्की ठंडी हवाएं चल रही थी, तभी अचानक इक चेहरा मेरे सामने आया,
कुछ देर तक मै tubelight की रौशनी चुराकर उसके चेहरे को निहार रहा था, रौशनी उसके आंखो से reflect हो रही थी
और हवाओं ने तो मानो अपना सारा रुख मोड़कर उसकी जुल्फों की तरफ कर लिया था, उसकी कानों की बाली झूम–झूमकर उसकी गालों को चूम रही थी,
..... इक रोज़ मै यूं ही खुद की तलाश में चल निकला
और पहुंचा महादेव की नगरी में,
कहा खबर थी मुझे
इंतजार कर रही है किस्मत मेरी बेसब्री में।

रात के क़रीब 7 बज रहे होंगे BHU का campus कितना सुहावन लग रहा था, हल्की हल्की ठंडी हवाएं चल रही थी, तभी अचानक इक चेहरा मेरे सामने आया,
कुछ देर तक मै tubelight की रौशनी चुराकर उसके चेहरे को निहार रहा था, रौशनी उसके आंखो से reflect हो रही थी
और हवाओं ने तो मानो अपना सारा रुख मोड़कर उसकी जुल्फों की तरफ कर लिया था, उसकी कानों की बाली झूम–झूमकर उसकी गालों को चूम रही थी,
subodhkumar3204

subodh kumar

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