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रो सकें इत्मिनान से जहां; सुनसान, वो ठिकाने ढूंढ़ते

रो सकें इत्मिनान से जहां;
सुनसान, वो ठिकाने ढूंढ़ते हैं.
बहला सकें मन; गुनगुनाने, 
वो तराने ढूंढते हैं...
वजह मिल जाए वो जो
समझा सके तुझे 'अदावत'...
हम तुम्हें भूल जाने के 
बहाने ढूंढ़ते हैं....
अर्चना'अनुपमक्रान्ति'

©Archana pandey
  #अदावत