ज़िगर का टुकड़ा है तु मेरे ही जिस्म का टुकड़ा तुझमें देखूँ मैं खुद का मुखड़ा तेरे चेहरे से नज़र न हटता बिन तेरे एक पल न कटता जब भी देखूँ वो चन्दा प्यारा आँखों में आये ये चंचल चेहरा थामे जब-जब तु आँचल मेरा थम जाऊँ वहीं मैं तो डाले डेरा जब-जब तुझको दर्द ने जकड़ा डर से मन बड़ा ज़ोर कराहा इन पलकों पर तु अश्क सा उतरा मेरे नैनों का तु सुकून जो ठहरा बड़ी दुआओं से तुझको पाया तुने ही माँ का संसार सज़ाया सीने से लग जा तु मन कह रहा ये तन-मन-धन तेरा ही ना तेरा भोला-भाला प्यारा मुखड़ा है तु तो मेरे ज़िगर का टुकड़ा । ©Deepali Singh जिगर का टुकडा