ख़ामोशी को समझना सीख लो, क्यूंकि हर किसी से कहते नही बनता बड़े ही बातूनी हो तुम कह देते हर बात जुबां से पर बेदर्द खुदा हर किसी को ऐसी जुबां नही बख्शता.. मैं खामोश हूँ भले लेकिन मेरे पास भी शब्दों का इक पिटारा है लिख देता हूँ , काग़ज़ में यूँ ही क्या करूँ दोस्त, मेरे शब्दों से कहते नहीं बनता... #चीखती खामोशी #क्यो चुप रह जाती हूँ मैं