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तृप्ति की कलम से ★★लहरें जीवन की★★ सागर की लहरे

तृप्ति की कलम से
★★लहरें जीवन की★★
सागर की लहरे
   आकर्षित करतीं हैं
         खुद की तरफ
             लहरों के ऊपर
                   लहरों का आना
                रोमांचित करता है
                      मानव मन को
    पर बताओं क्या
             जीवन की लहरें
                  इतनी ही सुखद होती हैं
                    सुनो नहीं
                      जीवन की लहरे
                         अकेला कर देती है
                    मानव को
                     दुःखद लहरें छीन लेती हैं
                          जीवन का रस
                               कभी मंद हैं तो
                       कभी तेज हैं
                           जीवन की ये लहरे
                                   समानता भी है
                      इन लहरों में
                     सागर की ही भाँति
                           कहाँ, कब ठहरी हैं
                       ये लहरे
                      ये जीवन की लहरे
स्वरचित
तृप्ति अग्निहोत्री 
लखीमपुर खीरी

©tripti agnihotri
  कविता
लहरें जीवन की

कविता लहरें जीवन की

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