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tripti agnihotri

Vice principal

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tripti agnihotri

जय श्रीराम

जय श्रीराम #पौराणिककथा

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tripti agnihotri

बच्चों पर अपने अधूरे सपने न थोपें,
उन्हें दूसरा विकल्प अवश्य दें। ताकि वे जीवन से प्यार कर सकें।
तृप्ति

©tripti agnihotri
  विचार

विचार

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tripti agnihotri

तृप्ति की कलम से
मर्म न जाने धर्म का,करें धर्म की बात।
ऐसे नर दानव बने, नफरत दें सौगात।

प्रण ऐसा मत लीजिए, हो भविष्य में खेद।
औरों को संकट मिले, हो मानव में भेद।

खुद पर साधो लक्ष्य तुम, ढूँढो खुद के ऐब।
अंत समय भर जायगी, सद्कर्मों से जेब।।
स्वरचित
तृप्ति अग्निहोत्री 
लखीमपुर खीरी

©tripti agnihotri
  चंद दोहे

चंद दोहे #कविता

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tripti agnihotri

तृप्ति की कलम से
एक कविता
दीवारें कहतीं हैं कि 
           अब तोड़ दो बंधन सारे।
          हम भी जग मे चमकें
               ऐसे जैसे चमके तारे।।
                       राग द्वेष, मद की दीवारें
                        ऊपर  उठती जातीं ।
                          नफ़रत औ ईर्ष्या  मन की
                           दिन पर दिन बढ़ती जाती ।
                    तोड़ दीवारें आओ बैठे
                    बनकर के हमजोली।
                        कान्हा जैसे आओ हम भी
                      बना लें अपनी टोली।
                          चार दिनों का जीवन अपना
                           हँसी -खुशी तब बीते।
                           "तृप्ति" मिले हर मन को
                                   औ कोई सपना न रीते।।
                    दीवारें कहतीं हैं
                               हमने सुनी बहुत-सी बातें।
                                      किसकी हँसकर, किसकी रोकर
                                 गुजरी हैं कुछ रातें।
स्वरचित 
तृप्ति अग्निहोत्री  
लखीमपुर खीरी
उत्तर प्रदेश

©tripti agnihotri
  कविता

कविता

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tripti agnihotri

#हर_कदम_में_साथ_हो_पापा
आस हो विश्वास हो
इस जिंदगी में खास हो।
हे पिता तुम ही मेरे
जीवन मे नव उल्लास हो।
                                                         पेड़ तुम तो छाया माता।
                                                          दीप तुम ज्योति विधाता।
                                                               सांसों का एक तार हो
                                                             हर इक खुशी का सार हो
                                                          तुमसे जीवन मे उजाला।
                                                        तुम ही सब अहसास हो।
जब कभी छाया अंधेरा 
न दिखा कोई सबेरा
तुमने थामा हाथ तब-तब
छोड़ा सबने साथ जब-जब
एक नई उम्मीद बनकर
तुम सदा ही पास हो।
                                   ......   ...   ..कब भला तुम दूर हमसे
                                                  बाँटती सुख-दुःख हूँ तुमसे।
                                                         मैं तुम्हें महसूस करती
                                                   जब भी दुविधा में हूँ पड़ती।
                         ............                 जब भी छाता है अँधेरा
                                                      तुम दिलाते आस हो।
हे पिता तुम ही तो मेरे
जीवन मे नव उल्लास हो।
स्वरचित
तृप्ति अग्निहोत्री

©tripti agnihotri
  आस हो विश्वास हो
हे पिता

आस हो विश्वास हो हे पिता #कविता #हर_कदम_में_साथ_हो_पापा

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tripti agnihotri

जय हिंद

जय हिंद #समाज

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tripti agnihotri

तृप्ति की कलम से
जीवन के आनंद का, कभी न होगा अंत।
अपने भीतर झांक लो,कमियां छुपी अनंत।।
तुमसे ज्यादा हैं दुखी, दुनिया ले कुछ लोग।
अपना दुख तब कम लगे, लोग रहे जो भोग।।
स्वरचित
तृप्ति अग्निहोत्री

©tripti agnihotri
  दोहे

दोहे #कविता

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tripti agnihotri

स्वतंत्रता का अर्थ हमने स्वछंदता समझ लिया है इसलिए न हम जी रहे हैं और न किसी को जीने दे रहे हैं। कम शब्दों में स्वतंत्रता का अर्थ है जियो और जीने दो।कर्म से,वचन से और धर्म से
      
तृप्ति अग्निहोत्री

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  #Chhuan विचार

#Chhuan विचार

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tripti agnihotri

माता सीता और श्रीराम के विवाह का प्रसंग
तृप्ति की कलम से

अगहन मास पंचम तिथि,सजी राम बारात।
सभी शगुन होने लगे, ठहरे दिन औ रात।

पुलकित हैं राजा जनक, दशरथ  को है नाज।
देव पुष्प बरसा रहे, पूरन होंगे काज।

सिया आज दुलहिन बनी, दूल्हा हैं श्रीराम।
अष्ट सिद्धि, नव निधि खड़ी,आज जनक के धाम।
स्वरचित
तृप्ति अग्निहोत्री

©tripti agnihotri
  #moonnight
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tripti agnihotri

विचारणीय तथ्य
दोषी कौन
हम बचपन से ही बच्चों के कोमल हृदय में सिर्फ एक बात कूट -कूट कर भरते हैं कि पैसा सब कुछ है ।बाप बड़ा न भईया सबसे बड़ा रुपिया।
बच्चा कहीं पीछे रह गया, तो ताना मारने में कसर नहीं छोड़ते कि बर्बाद कर दी मेरी मेहनत की कमाई।
अगर बच्चा कुछ बन कर बाहर चला गया तो भी बच्चे को ही कोसते हैं ।
तृप्ति

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