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//!चल पड़ा हूँ जीवन पथ पर // समाज की जलती सोच का

//!चल पड़ा हूँ जीवन पथ पर //

समाज की जलती  सोच का आलिंगन  कर, 
मैं चल  पड़ा हूँ बेफिक्र, इस जीवन पथ पर,
जानता हूँ ये सफ़र ना होगा  इतना आसान,
पल-पल  चलना पड़ता  है यहांँ, अंगारों पर,

संघर्ष ही मूल जीवन का, यही  हकीकत है,
संघर्ष ही अंकुश,इस दुनिया के सवालों पर,
ज़िंदगी बोझ नहीं बस जीने का सलीका हो,
कर्म मंत्र ही विजय, जीवन की आंँधियों पर,

चल रहा था दुनिया की सोच पर अब तक,
क्या मिला चलकर, दुनिया की लकीरों पर,
चलता रहूंँगा  कर्तव्यनिष्ठ, मंजिल की ओर,
दृढ़ विश्वास मेरा जीत होगी मेरी संघर्षों पर,

जीवन का  यही संघर्ष तो मेरी ताकत बनेगा,
खड़ा उतरना है अब खुद की ही उम्मीदों पर,
खुद की बनानी है अब मुझे एक पहचान नई,
कोई बाधा ना आने दूंँगा, अब मेरे ख़्वाबों पर,

बढ़ा चुके हैं कदम आगे, अब  पीछे नहीं हटेंगे,
अपनी जीत के निशां बनाऊंँगा मैं पाषाणो पर,
तूफ़ानों के आगे डाटा रहूंँगा, सदैव  सीना तान,
अपने हौसलों से राह बनाऊँगा, इन चट्टानों पर,

( पूर्ण रचना अनुशीर्षक में )

©Mili Saha
  

समाज की जलती सोच का आलिंगन कर, 
मैं चल पड़ा हूँ बेफिक्र, इस जीवन पथ पर,
जानता हूँ ये सफ़र ना होगा इतना आसान,
पल-पल चलना पड़ता है यहांँ, अंगारों पर,

संघर्ष ही मूल जीवन का, यही हकीकत है,
milisaha6931

Mili Saha

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समाज की जलती सोच का आलिंगन कर, मैं चल पड़ा हूँ बेफिक्र, इस जीवन पथ पर, जानता हूँ ये सफ़र ना होगा इतना आसान, पल-पल चलना पड़ता है यहांँ, अंगारों पर, संघर्ष ही मूल जीवन का, यही हकीकत है, #Trending #poem #motivate #nojotopoetry #WorldWaterDay #प्रेरक #sahamili

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