Nojoto: Largest Storytelling Platform

संकल्पौ. को आखिर कब तक सोते रहने देना है? स्वयं को

संकल्पौ. को आखिर कब तक सोते रहने देना है?
स्वयं को  विराट से  कब तक  अपरिचित रहने देना है  दुविधा मे  समय क्यों गँवा  रहे  हो
संशय मे  अवसर क्यों गँवारहे हो? 
गुजरा समय फिर लौट क़र  नहीं आने वाला है 
और खोये  हुए  अवसरों  क़े लिए 
तुम्हे   बार  बार  जन्म लेना  पड़ता है

©Parasram Arora अवसर.......
संकल्पौ. को आखिर कब तक सोते रहने देना है?
स्वयं को  विराट से  कब तक  अपरिचित रहने देना है  दुविधा मे  समय क्यों गँवा  रहे  हो
संशय मे  अवसर क्यों गँवारहे हो? 
गुजरा समय फिर लौट क़र  नहीं आने वाला है 
और खोये  हुए  अवसरों  क़े लिए 
तुम्हे   बार  बार  जन्म लेना  पड़ता है

©Parasram Arora अवसर.......