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गीत :-  विधाता छन्द  छुपाने के लिए गलती कहानी खूब

गीत :-  विधाता छन्द 

छुपाने के लिए गलती कहानी खूब रचते हो ।
किसी का दोष भी अब तुम किसी पर खूब मढ़ते हो ।।
छुपाने के लिए गलती ....

विधाता हम न पहचाने तुम्हारी आज सूरत को ।
बना बैठा हमारे पास तू अब आज मूरत जो ।।
रहे पथ में तुम्हारी हम कि आओगे हमें मिलने ।
मगर इस बार भी देखा बहुत छुपकर निकलते हो ।।
छुपाने के लिए गलती .....

बुरा अंजाम जब होता खता इंसान की होती ।
न हो कुछ भाग्य में जो तो कमी तकदीर की होती ।।
अचानक अब नही आता तुम्हारे द्वार पर कोई ।
यहाँ पर हादसे जैसे कहानी रोज गढ़ते हो ।।
छुपाने किया लिए गलती ......

शरण में आ गया तेरे मुझे भी राह बतलाओ ।
रहा मझधार में जीवन इसे अब पार लगवाओ ।।
यहाँ कोई नही मेरा जिसे अपना कहूँ मैं अब ।
किया जो कर्म मैने है वही तो आप लिखते हो ।।
छुपाने के लिए गलती ...

छुपाने के लिए गलती कहानी खूब रचते हो ।
किसी का दोष भी अब तुम किसी पर खूब मढ़ते हो ।।

०५/१०/२०२३    -      महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :-  विधाता छन्द 


छुपाने के लिए गलती कहानी खूब रचते हो ।

किसी का दोष भी अब तुम किसी पर खूब मढ़ते हो ।।

छुपाने के लिए गलती ....
गीत :-  विधाता छन्द 

छुपाने के लिए गलती कहानी खूब रचते हो ।
किसी का दोष भी अब तुम किसी पर खूब मढ़ते हो ।।
छुपाने के लिए गलती ....

विधाता हम न पहचाने तुम्हारी आज सूरत को ।
बना बैठा हमारे पास तू अब आज मूरत जो ।।
रहे पथ में तुम्हारी हम कि आओगे हमें मिलने ।
मगर इस बार भी देखा बहुत छुपकर निकलते हो ।।
छुपाने के लिए गलती .....

बुरा अंजाम जब होता खता इंसान की होती ।
न हो कुछ भाग्य में जो तो कमी तकदीर की होती ।।
अचानक अब नही आता तुम्हारे द्वार पर कोई ।
यहाँ पर हादसे जैसे कहानी रोज गढ़ते हो ।।
छुपाने किया लिए गलती ......

शरण में आ गया तेरे मुझे भी राह बतलाओ ।
रहा मझधार में जीवन इसे अब पार लगवाओ ।।
यहाँ कोई नही मेरा जिसे अपना कहूँ मैं अब ।
किया जो कर्म मैने है वही तो आप लिखते हो ।।
छुपाने के लिए गलती ...

छुपाने के लिए गलती कहानी खूब रचते हो ।
किसी का दोष भी अब तुम किसी पर खूब मढ़ते हो ।।

०५/१०/२०२३    -      महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :-  विधाता छन्द 


छुपाने के लिए गलती कहानी खूब रचते हो ।

किसी का दोष भी अब तुम किसी पर खूब मढ़ते हो ।।

छुपाने के लिए गलती ....

गीत :-  विधाता छन्द  छुपाने के लिए गलती कहानी खूब रचते हो । किसी का दोष भी अब तुम किसी पर खूब मढ़ते हो ।। छुपाने के लिए गलती .... #कविता