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मैं तो माला में था मुद्दत से , अब मोतियों की तरह ब

मैं तो माला में था मुद्दत से ,
अब मोतियों की तरह बिखरा हूं ।
 मैं वो हवा का झोंका हूं ।
 जो पर्वत से टकराने निकला हूं ।।   ✍अमित कुमार ✍✍....

मैं तो माला में था मुद्दत से , अब मोतियों की तरह बिखरा हूं । मैं वो हवा का झोंका हूं । जो पर्वत से टकराने निकला हूं ।। ✍अमित कुमार ✍✍....

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