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कहने को कितनी बातें हैं पर विशाल तुमसे एक लब्ज़ भी

कहने को कितनी बातें हैं पर विशाल
तुमसे एक लब्ज़ भी नहीं कह पाता हूँ
तुम्हारे और हमारे रिश्ते के खातिर
चुप सा हो जाता हूँ
डरता हूँ कि तुम कहीं नाराज न जाओ
बात को अपने दिल में दबाकर
जज्बातों को पी जाता हूँ
कहने को कितनी बातें हैं पर...

©Hrishi Vishal 007
  #कहने_को_कितनी_बातें_हैं