White मुंह पर बनते हो मीठे, पीठ पीछे ज़हर घोल ही देते हो। रिश्तों का ये कैसा फ़रेब, हर बार दिल तोड़ ही देते हो। क्या दोस्ती का बस यही मतलब है? हर ख़ुशी पर तुम सवाल छोड़ ही देते हो। हाले दिल जिक्र करते हैं अपना समझ के, तुम वक्त बेवक्त, गाहे-अगाहे यूं ही मुंह खोल देते हो। सच को नकाब पहनाकर, हर बार झूठ का दरिया बहा देते हो। जो दिखते हो, वो हो नहीं, हर साए में अपनी असलियत छुपा जो लेते हो। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर मुंह पर बनते हो मीठे, पीठ पीछे ज़हर घोल ही देते हो। रिश्तों का ये कैसा फ़रेब, हर बार दिल तोड़ ही देते हो। क्या दोस्ती का बस यही मतलब है? हर ख़ुशी पर तुम सवाल छोड़ ही देते हो।