इक भूल हुई आज चाँद ना देख पाए.. तो चाँदनी खुद दस्तक दे आयी है गिन रहा था जब मैं तारों को वो पूरा फलक उठा कर लायी है मैं रंग समेट आगे बढ़ रहा था वो पूरा जहा रंगीन कर आयी हैं आज फिर वो रात आयी है जहा बिछड़ी बातें उफान भर आयी है रात फिर वो लम्हा ले कर आयी.. जहा बातें कुछ बात करने आयी है Aahte!!!