इतना दम ही नहीं था ज़ंजीरों में, तो फिर उसको कैद किया तस्वीरों में, इस बा'इस से गिनता हूं मैं, उसको मेरे असीरो में, इस जानिब को उस जानिब को, दौड़ लगाई हर जानिब को, मंदिर मस्ज़िद गिरजाघर में, ढूंढा खुदा फकीरों में, मैदान कहां है क्या मालूम है, लेकिन इससे क्या मतलब, घर बैठे ही जंग देख ली, तलवार ढ़ाल और तीरों में..…! असीर - कैदी बा'इस - कारण जानिब - तरफ