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इश्क।। इश्क, इश्क तो नही, मजबूर रहा। देख मुस्काना

इश्क।।

इश्क, इश्क तो नही, मजबूर रहा।
देख मुस्काना उनका, दस्तूर रहा।

बीते थे पल चांद रातों में कभी,
पूछता वक़्त है, क्या कसूर रहा।

चलते हैं नस्तर सीने पे अब भी,
बहुत गर नही, कुछ जरूर रहा।

रंग जो डाले थे पन्ने तेरी याद में,
हर एक हर्फ़ उसका, मशहूर रहा।

रुखसत हुए जो, ग़मगीन दिल था,
तेरा जाना क्यूँ रब को मंजूर रहा।

ना यादें भूलाती, ना दिल से जाती,
तुझे खोके भी तुझमे मगरूर रहा।

©रजनीश "स्वछंद" #NojotoQuote इश्क।।

इश्क, इश्क तो नही, मजबूर रहा।
देख मुस्काना उनका, दस्तूर रहा।

बीते थे पल चांद रातों में कभी,
पूछता वक़्त है, क्या कसूर रहा।
इश्क।।

इश्क, इश्क तो नही, मजबूर रहा।
देख मुस्काना उनका, दस्तूर रहा।

बीते थे पल चांद रातों में कभी,
पूछता वक़्त है, क्या कसूर रहा।

चलते हैं नस्तर सीने पे अब भी,
बहुत गर नही, कुछ जरूर रहा।

रंग जो डाले थे पन्ने तेरी याद में,
हर एक हर्फ़ उसका, मशहूर रहा।

रुखसत हुए जो, ग़मगीन दिल था,
तेरा जाना क्यूँ रब को मंजूर रहा।

ना यादें भूलाती, ना दिल से जाती,
तुझे खोके भी तुझमे मगरूर रहा।

©रजनीश "स्वछंद" #NojotoQuote इश्क।।

इश्क, इश्क तो नही, मजबूर रहा।
देख मुस्काना उनका, दस्तूर रहा।

बीते थे पल चांद रातों में कभी,
पूछता वक़्त है, क्या कसूर रहा।

इश्क।। इश्क, इश्क तो नही, मजबूर रहा। देख मुस्काना उनका, दस्तूर रहा। बीते थे पल चांद रातों में कभी, पूछता वक़्त है, क्या कसूर रहा। #Love #ghazal #ishk