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दर्द देने पर गर कराह निकल जाए तो जालिम के खिताब क

दर्द देने पर गर कराह निकल जाए 
तो जालिम के खिताब के हकदार हो तुम।
जीवन में कुछ ना कर पाए अच्छा
तो गुनहगार हो तुम।
सोच के देखो, झांको खुद में
टटोल कर अपना वजूद
संभालो खुद को।
ऐसा न हो की वक्त रेत की तरह फिसल जाए
बंद करके अपनी मुट्ठी थामो लम्हों को।
जीवन अपना सार्थक कर करना 
करना बड़ो को नमन। #व्यथित_परिवर्तन
दर्द देने पर गर कराह निकल जाए 
तो जालिम के खिताब के हकदार हो तुम।
जीवन में कुछ ना कर पाए अच्छा
तो गुनहगार हो तुम।
सोच के देखो, झांको खुद में
टटोल कर अपना वजूद
संभालो खुद को।
ऐसा न हो की वक्त रेत की तरह फिसल जाए
बंद करके अपनी मुट्ठी थामो लम्हों को।
जीवन अपना सार्थक कर करना 
करना बड़ो को नमन। #व्यथित_परिवर्तन