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तलब होती है प्यारे साथ की हिचकियां गिरह खोलती है ए

तलब होती है प्यारे साथ की
हिचकियां गिरह खोलती है एहसास कीं 
झुक के आंसू सजदा करते हैं
खामोश हो जाती है तड़प दीदार की !

©Harminder Kaur
  #sajda #साथ #खामोशी