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मैं तितली सी हूं जो एक जगह ठहर ही नहीं पाती है मन

मैं तितली सी हूं जो एक जगह ठहर ही नहीं पाती है मन चंचल है मेरा हजारों सवाल मन में उठते हैं किस-किस का प्रश्न ढूंढो यही सोचती हूं
 मैं तितली से हूं जो एक जगह ठहर ही नहीं पाती हूं मैं होना चाहती हूं खुले आसमान में बिना किसी दबाव के
 मैं इतनी सुंदर कल्पना बनना चाहती हूं
 जो सूची भी ना गई हो
 मैं तितली सी हूं जो हर जगह ठहर ही नहीं पाती हूं
 Anshu karnwal

©Ans Ans
   udan
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Ans Ans

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udan #शायरी

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