हा मैं आ पंहुचा हूँ उस मुकाम पर जहाँ न जहन्नुम का ख़ौफ़ है न जन्नत की कोई हसरत यहां न उजालों की बरकत है. न अंधेरों का कोई वज़ूद सिर्फ दौड़ती फुदकती पगडाडिया है. जिन्हे खुद का कोई पता नहीं और वे न ही ये जानती है क़ि कहाँ है उनका उदगम और आगे कहाँ होगा उनका. अंत ©Parasram Arora उदगम और अंत #Ray