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हा मैं आ पंहुचा हूँ उस मुकाम पर जहाँ न जहन्नुम का

हा  मैं आ पंहुचा हूँ
उस मुकाम पर
जहाँ न जहन्नुम का ख़ौफ़  है
न  जन्नत की कोई हसरत 
यहां न उजालों की  बरकत है.
न  अंधेरों का कोई वज़ूद
सिर्फ दौड़ती  फुदकती  पगडाडिया है. जिन्हे
खुद का कोई पता नहीं 
और वे न ही ये जानती है क़ि कहाँ  है
उनका उदगम और आगे  कहाँ  होगा उनका. अंत

©Parasram Arora उदगम  और अंत 

#Ray
हा  मैं आ पंहुचा हूँ
उस मुकाम पर
जहाँ न जहन्नुम का ख़ौफ़  है
न  जन्नत की कोई हसरत 
यहां न उजालों की  बरकत है.
न  अंधेरों का कोई वज़ूद
सिर्फ दौड़ती  फुदकती  पगडाडिया है. जिन्हे
खुद का कोई पता नहीं 
और वे न ही ये जानती है क़ि कहाँ  है
उनका उदगम और आगे  कहाँ  होगा उनका. अंत

©Parasram Arora उदगम  और अंत 

#Ray
parasramarora4891

Parasram Arora

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