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कहाँ हम कहाँ तुम बीच में सदियों के फ़ासले रहते थे त

कहाँ हम कहाँ तुम बीच में सदियों के फ़ासले
रहते थे तुम कभी कहाँ एक पल बिन मेरे आसरे

पूछो ना किस तरह से गुज़ारा है दौर बेकसी में
तेरे बगैर जीने के किये हैं किस तरह से हौसले

आदत गयी नहीं तुम्हारी इरादों को छुपाने की
और हमने भी कुछ पूछने के नहीं किये हौसले

तेरे वादों पे था यकीन इसलिए जान पे खेल गया
तेरे यकीन पर ही काँटों पे चलने के किये हौसले कहाँ हम कहाँ तुम...
कहाँ हम कहाँ तुम बीच में सदियों के फ़ासले
रहते थे तुम कभी कहाँ एक पल बिन मेरे आसरे

पूछो ना किस तरह से गुज़ारा है दौर बेकसी में
तेरे बगैर जीने के किये हैं किस तरह से हौसले

आदत गयी नहीं तुम्हारी इरादों को छुपाने की
और हमने भी कुछ पूछने के नहीं किये हौसले

तेरे वादों पे था यकीन इसलिए जान पे खेल गया
तेरे यकीन पर ही काँटों पे चलने के किये हौसले कहाँ हम कहाँ तुम...