सज गये है बाजार राखी के धागों से रेशमी,सुनहरी,रजतर्वण की रंगबिरंगी तरह तरह की कहीं झूमर सी लटके कहीं बंधनबार सी फबके, कहीं फूलों की चादर सी,कहीं बनाती दीवार रंगबिरंगी चमक उठे हैं तेवर देखो सभी दुकानों के। पूरा गीत caption में पढ़ें पारुल शर्मा सज गये है बाजार राखी के धागों से रेशमी,सुनहरी,रजतर्वण की रंगबिरंगी तरह तरह की कहीं झूमर सी लटके कहीं बंधनबार सी फबके, कहीं फूलों की चादर सी,कहीं बनाती दीवार रंगबिरंगी चमक उठे हैं तेवर देखो सभी दुकानों के। सज गये है बाजार राखी के धागों से कहीं सूरज चाँद बने,कहीं कुंदन मोती के हार जड़े कहीं कार साइकिल गाड़ी ,कहीं कार्टून तो कार्टूनों में बड़ी बड़ी हस्ती