सुबह घर से निकले थे तब तक सुलह कहां हो पायी थी लौटा ज़ब संध्या की गोधूलि वेळा मे अपनी नाकामयाबियों क़े साथ तो एक भरपूर मुस्कान क़े साथ चाय का गर्म प्याला भी थमा दिया गया और मेरी थकान की जानकारी भी ली गई ©Parasram Arora सुलह.......