किस्सा - भगत पूर्णमल रागनी - 9 तर्ज - कजरा मोहब्बत वाला सुंदरा : गोरा सै तेरा बाणा, दिखे सै बाबा स्याणा। मरज्याणे इसी घलगी मेरै घाल, हाय रे मै होग्यी बेहाल। पूरण : मैं तो एक बाबा रै ठैहरया, तन्ने के कोन्या बेरा। मेरे संग कोन्या लागे ताल, क्यूँ कर रही सै अपणा जिया काल।। सुंदरा : डेरे पै तेरे आऊँ, तेरे गुरु ने मनाऊँ बदले में दयूंगी धन और माल, सेवा करूँगी सालों साल। पूरण : हम तो सै सच्चे रै साधु, तने देखे होंगे और स्वादु म्हारा तै सबतै यो सवाल, मुट्ठी भर भिक्षा जा नै डाल।। पूरण : सांसारिक मोह और माया, औरत को रोग बताया गुरु गोरख की शिक्षा का कमाल, क्यूँ फेंके सै अपणा माया जाल। सुंदरा : औरत से पैद कहाते, औरत को तुच्छ बतलाते मर्दों की कैसी ओळी चाल, ओढ़ें से झूठी थोथी खाल।। सुंदरा : सुणले मैं तन्ने बरूँगी, ना तै बेमौत मरूँगी गिरूँगी कुँए, झेरै ताल, उठें सै सौ सौ मण की झाल।। पूरण : आनन्द सच्चाई कहता, बाल ब्रह्मचारी रहता मेरा निकालो दिल से ख्याल, भोळा करेगा सब सँभाल।। गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया © 2020-21 #हरयाणवी_रागनी #meltingdown