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पर्वतों की गोद में पली हूँ साग़र से मिलने चली हूँ च

पर्वतों की गोद में पली हूँ
साग़र से मिलने चली हूँ
चलने से पहले रोयी हूँ
क्योंकि एक माँ खोयी हूँ....

(पूरी कविता कैप्शन में)
     #माँ #पर्वत #साग़र #नदी #बादल #सूरज #YQdidi @YQbaba

बचपन में एक बार कविता लिखी थी माँ पर, आज वही कविता जस की तस प्रस्तुत है क्योंकि Rajni Malik जी ने नॉमिनेट किया है।

पर्वतों की कोख़ में पली हूँ,
सागर से मिलने चली हूँ,
चलने से पहले रोई हूँ,
क्योंकि मैं एक माँ खोयी हूँ......
पर्वतों की गोद में पली हूँ
साग़र से मिलने चली हूँ
चलने से पहले रोयी हूँ
क्योंकि एक माँ खोयी हूँ....

(पूरी कविता कैप्शन में)
     #माँ #पर्वत #साग़र #नदी #बादल #सूरज #YQdidi @YQbaba

बचपन में एक बार कविता लिखी थी माँ पर, आज वही कविता जस की तस प्रस्तुत है क्योंकि Rajni Malik जी ने नॉमिनेट किया है।

पर्वतों की कोख़ में पली हूँ,
सागर से मिलने चली हूँ,
चलने से पहले रोई हूँ,
क्योंकि मैं एक माँ खोयी हूँ......
pratimatr9567

Vidhi

New Creator

#माँ #पर्वत #साग़र #नदी #बादल #सूरज #yqdidi @YQbaba बचपन में एक बार कविता लिखी थी माँ पर, आज वही कविता जस की तस प्रस्तुत है क्योंकि Rajni Malik जी ने नॉमिनेट किया है। पर्वतों की कोख़ में पली हूँ, सागर से मिलने चली हूँ, चलने से पहले रोई हूँ, क्योंकि मैं एक माँ खोयी हूँ......