जब भी सिंहासन सौंपने की बारी आती है हर राजा में धृतराष्ट्र की ही आत्मा समाती है प्रजा किससे खुश रहेगी, यह कौन देखता है? योग्यता को नहीं, राजा संतान को पूजता है! कहने को लोकतंत्र है,अब राजा नहीं नेता हैं स्थिति नहीं बदली है ,गद्दी बेटे को ही देता है जनता भी कहां बदली,बस विरासत टटोलती है कितनी भी अयोग्यता हो,उपनाम पर डोलती है फिर हंगामा क्यों बरपा है, किस बात पर रुष्ट हैं जनता बिल माफ़ी से, नेता कमीशन से संतुष्ट हैं लोकतंत्र की सुन्दरता है, संख्या बल का राज है दस साल का आरक्षण, तीन पीढ़ी तक साथ है! हर नेता कसमें खाता है,चाहे मरते मैं मर जाऊंगा वोट बैंक की खातिर मैं , हर अनर्थ कर जाऊंगा। #ऐसी तैसी डेमोक्रेसी #jayakikalamse #yqdidi #yqquotes