मुसाफिर चलना तो बचपन से सीखा है अब तो राहों में ही ,भटक जाते है हम मुसाफ़िर है साहेब हम चलते-चलते थक जाते है । अब ये राहे रूकती कहा है अब सभी राहों में,मंजिल देख लेते है हम तो यूंही बदनाम है साहेब , कि अब,हम एक जगह ठहरते कहा है । चलना तो बचपन से सीखा है❣️ अब तो राहों में ही भटक जाते है हम मुसाफ़िर है साहेब हम चलते-चलते थक जाते है । हम सभी राहों में,मंजिल देख लेते है अब ये राहे रूकती कहा है हम तो यूंही बदनाम है साहेब