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गम ए आशिकी के मारे गम ए आशिकी तक ना पाहुंचे कभी

गम ए आशिकी के मारे गम 
ए आशिकी तक ना पाहुंचे
 कभी सुबह तक ना आए 
तो कभी शाम तक ना पाहुंचे
 मैं नजर से पि रहा था
 तबी किसी पतंगे की बद्दुआ की
की तेरा हाथ कभी भी जाम तक ना पाहुंचे

©Bobby Verma
  दिल की आरज़ू
bobbyverma8934

Bobby Verma

New Creator

दिल की आरज़ू #शायरी

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