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मैं भी ऐसा होना चाहता हूँ, जिसमें दर्द न हो, किसी

मैं भी ऐसा होना चाहता हूँ,
जिसमें दर्द  न हो,
किसी के कुछ भी कहे जाने पर रंज ना हो,
रंज ना हो, दंज न हो, मन में कोई भंज ना हो,
मैं भी ऐसा होना चाहता हूँ,

मैं भी ऐसा होना चाहता हूँ,
जिसमें मन में मेरे कोई अनर्थ न हो,
अर्थ हो तो व्यर्थ न हो,
हृदय दयारहित रहे, अश्रु से मुक्त रहे,
मैं भी ऐसा होना चाहता हूँ,

मैं भी ऐसा होना चाहता हूँ,
जिसमें मन कठोर-काठ करूँ,
क्रोध ज्वार भाट करूँ,
क्या मैं ऐसा बन जाऊँ, क्या मैं ऐसा बन जाऊँ।


 अंत: शब्द
मैं भी ऐसा होना चाहता हूँ,
जिसमें दर्द  न हो,
किसी के कुछ भी कहे जाने पर रंज ना हो,
रंज ना हो, दंज न हो, मन में कोई भंज ना हो,
मैं भी ऐसा होना चाहता हूँ,

मैं भी ऐसा होना चाहता हूँ,
जिसमें मन में मेरे कोई अनर्थ न हो,
अर्थ हो तो व्यर्थ न हो,
हृदय दयारहित रहे, अश्रु से मुक्त रहे,
मैं भी ऐसा होना चाहता हूँ,

मैं भी ऐसा होना चाहता हूँ,
जिसमें मन कठोर-काठ करूँ,
क्रोध ज्वार भाट करूँ,
क्या मैं ऐसा बन जाऊँ, क्या मैं ऐसा बन जाऊँ।


 अंत: शब्द